Monday, April 6, 2020

लल्लापुराण 295 (धर्मांधता)

Deepak Tiwari Deepak Tiwari आपकी कुछ बातें ठीक है, 1. शिक्षक को धैर्यवान होना चाहिए और अपने ऊपर मत लीजिए, कहावत की भआषा में गधे को घोड़ा बनने तक रगढ़ते रहना चाहिए, कई बार लगता है जो विद्यार्थी खुद को सर्वज्ञ समझता हो उस पर क्यों समय खर्च करें जो निरर्थक जाएगा।2. नीरज ने दीप जलाने की कविता लिख दी तो किसी ने कह दियातो आप बिजली गुल कर दीप जलाने का टोटका करने लगेंगे? या महामारी का दीपोत्सव मनाएंगे? 3. मैंने आपको जाहिल नहीं कहा, दाढ़ी में तिनका क्यों महसूस कर रहे हैं?4. मैं नास्तिक हूं किसी की आस्था पर कभी आघात नहीं करता, धर्मांधता और अंधविश्वास पर करता हूं। 5. सार्वजनिक स्थान पर थूकने वाला कीर्तन कब तक गाएंगे? मैंने राजा को फेल नहीं कहा, कविता समझिए नौटंकी पर व्यंग्य है, राजा की अंधभक्ति बंद करिए। मैं टीडी इंटर कॉलेज में पढ़ा हूं हर जगह हर तरह के लोग निकलते हैं, मैंने तो यही कहा कि ठीक हुआ करता था। हिंदू-मुसलमान से ऊपर उठकर एक विवेकशील इंसान की तरह सोचें तो प्रसन्नता होगी, मेरी बात से तकलीफ हुई हो तो माफी। सादर।

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