Saturday, April 25, 2020

फुटनोट 382 (नेहरू-निराला)

नेहरू में आलोचना का सम्मान करने का बड़प्पन था। निराला 'क्यों बे गुलाब....' तथा 'यदि होता लखपतिकुमार......' लिखते थे. नेहरू इलाहाबाद में पुरुषोत्तम दास टंडन पार्क की मीटिंग में सारे प्रोटोकोल तोड़ मंच से उतरकर किनारे पुलिस वालों से संघर्ष करते निराला तक पहुंच कर उन्हें मंच पर ले जाते हैं (कानो सुनी) तथा निराला की आर्थिक सहायता के लिए प्रयाग साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष को हस्तलिखित पत्र भेजते हैं। इस हिदायत के साथ कि सहायता राशि महादेवी वर्मा को दी जाए। (आंखों देखी)।

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