Thursday, April 23, 2020

मार्क्सवाद 216 (संप्रभुता)

राजशाही में संप्रभुता राजा में निहित होती थी, आधुनिक समय में इंग्लैंड में संप्रभुता संसद में तथा भारत और अमेरिका जैसे देशों में संविधान में निहित है। कौटिल्य की 7 अंगों के निकाय के रूप में में राज्य की परिभाषा (सप्तांग सिद्धांत) राज्य की आधुनिक परिभाषा के बहुत करीब है तथा उसका विस्तारित रूप है। संप्रभुता 'स्वामी' में निहित है, दंड (सेना) राज्य का एक अंग है। सब अंग हैं -- स्वामी, आमात्य (नौकरशाही), जनपद (आबाद क्षेत्र), दुर्ग, कोष, दंड एवं मित्र (सहयोगी राज्य)। जनता डंडा न उठाए (क्रांति न करे), इसलिए उनका राज्य एक तरह से कल्याणकारी राज्य है, 'प्रजा का हित ही राजा का हित है'। जनता जब एक वैचारिक स्पष्टता के साथ, संगठित होकर डंडा उठाती है तो क्रांति होती है, अन्यथा अराजकता। भीड़ हिंसाएं जनता के डंडे की अराजकता की मिशालें हैं।

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