Monday, April 27, 2020

लल्ला पुराण 311(सनातन)

राहुल जी के भाषा ज्ञान तथा शोध परिप्रेक्ष्य पर मुझे संदेह नहीं है, इसलिए मैं मैं उनके अनुवाद और व्याख्या को प्रामाणिक मानता हूं। ऋगवेद का जोर सार पर है उपनिषद का स्वरूप पर, स्वरूप का सार पर हावी होने का मतलब साध्य पर साधन की प्राथमिकता। सनातन का लक्षणात्मक-व्यंजनात्मक अर्थ भी गतिशीलता में जड़ता का प्रतिरोध ही होगा। परिवर्तन को ही साश्वत मानने वाले बौद्ध तथा लोकायत (चारवाक) परिप्रेक्ष्य को मैं सही मानता हूं। पॉजिटिविज्म पर द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का प्रभाव है लेकिन वैल्यू-फ्री फैक्ट की मान्यता के चलते वह वैज्ञानिकता की मैकैनिकल अभिव्यक्ति है। द्वंद्वात्मक भौतिकवाद मार्क्सवाद का दर्शन है, ऐतिहासिक भौतिकवाद विज्ञान।

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