Monday, April 6, 2020

सभ्यता पर खतरा

सभ्यता पर खतरा
ईश मिश्र
कुछ लोग कह रहे हैं महामारी से
सभ्यता पर नष्ट होने का खतरा पैदा हो गया है
महामारी से नष्ट नहीं होगी सभ्यता
कुछ खरोचें आ सकती हें
लग सकते हैं कुछ घाव इस पर
बची रह सकती हैं जिसकी कुछ दागें कुछ निशान
बचपन में शरीर पर लगी चोटों के निशानों की तरह
पहली महामारी नहीं है कोरोना का प्रकोप
पहले भी आईं बुत महामारियां और हो गयीं विलोप
अनंतकालीन इतिहास में
आईं और चली गयीं कितनी महामारियां
बची रही सभ्यता छोटी-मोटी खरोंचों के साथ
शुरू हुई जो मनुष्य जब दो पैरों पर चलने लगा
और करने लगा अपनी आजीविका का उत्पादन
विकसित करते हुए श्रम के नए नए साधन
मनुष्य की प्रजाति-विशिष्ट प्रवृत्ति है दिमाग
इस्तेमाल से जिसके होता है प्रकृति का ज्ञान

अलग किया इससे पशुकुल से खुद को इंसान
अवनति के गर्त में गिरी सभ्यता फैला जब भी अज्ञान

रसातल में जाती दिखती सभ्यता आज
फैशन हो रहा है पहननेका अज्ञान का ताज
वैसे ही जैसे 1960 और 70 के दशक में
फैशन था विश्वविद्यावयों में मार्क्सवादी कहलाने का
भूतपूर्व हो गए ज्यादातर उनमें हुआ जब पतन सोवियत संघ का
और इतिहास के अंत की घोषणा कर डाला
नव उदारवादी पूंजी के चारणों ने
उसी तरह फैशन हो गया है अंधभक्त और अज्ञानी दिखने का

वैज्ञानिक वैज्ञानिक नहीं धर्मांध और अज्ञानी दिखना चाहता है
वेदों में विज्ञान खोजता है और गोबर में स्वर्ग का विधि-विधान

गोमूत्र में सब व्याधियों का इलाज खोजता है
और टोना-टोटकों में सब विपदा का निदान

इतिहासकार ऐतिहासिकता को साजिश बताकर
मिथकों के अज्ञान को इतिहास बताना चाह रहा है
साक्ष्य को धता बताकर अफवाहजन्य इतिहासबोध पढ़ा रहा है
कवियों में होड़ लगी है अज्ञान में पद्म विभूषण पाने की
पत्रकार डरा हुआ है कि कहीं वह तथ्यान्वेषी न दिखे

जुट गया है त्रेता और द्वापर के द्वीप खोजने में
और फैलाने में म्लेच्छों और राक्षसों की दंत कथाएं
चैनल दिखाने लगे हैं सुर-असुर संग्राम की सत्य कथाएं
जब भी राजा देता टोने-टोटके का ज्ञान
होड़ लग जाती लोगों में साबित करने को उसे परम विज्ञान
हर आदमी शंकित है कि शक न करे कोई उसके अज्ञान पर
धर्मांधता के परम ज्ञान पर
नष्ट नहीं हुई अभी तक सभ्यता
किसी महामारी या महायुद्ध से
पाषाणयुग से साइबरयुग तक की लंबी यात्रा में
लेकिन वास्तविक खतरा पैदा हो गया है
सभ्यता के विनाश का
अज्ञान के भार से
देखा जाने लगा है खतरनाक वाइरस की तरह
बुद्धि और विवेक के किसी भी लक्षण को
ट्रोल किए जाने लगे हैं वे लोग
शक है जिनपर होने का बुद्धजीवी
खतरे में पड़ गई है मनुष्य की सभ्यता
अज्ञान के सर्वव्यापी प्रभाव से
छा गया है इस पर धर्मांधता और अंधविश्वास का घटाटोप
शुरू हुई थी जो मनुष्य के पशुकुल से अलगाव से

विवेक और बुद्धि के प्रभाव से
महामारी और महायुद्ध से नहीं होगा सभ्यता का विनाश

लेकिन इसके अस्तितव पर मड़रा रहा है अज्ञान का खतरा
बच गयी तो नई शुरुआत करेगी मनुष्यता
नहीं भी बच पाई अगर
और नष्ट हो गयी अनंतकालीन यह सभ्यता
तो जन्म लेगी एक नई सभ्यता, एक नई मनुष्यता

इसके खंडहरों से
(06.04.2020)

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