Saturday, April 11, 2020

पेट का सवाल लब की आजादी के पहले आता है

सही है, पेट का सवाल लब की आजादी के पहले आता है
रुकती नहीं मगर जेहन की उड़ान लगाने से मुंह पर ताले
यह भी सही है कि रोटी मनुष्य का मौलिक अधिकार है
उसी तरह जैसे सोचने-बोलने और निष्ठा की आजादी
धरती किसी के बाप की नहीं, सबकी साझी विरासत है
जो भी लगाता है लब पर ताला रोटी के मोलभाव में
निरंकुशता का वाहक, और संवेदनहीन, बर्बर लुटेरा है
मैं उसे मनुष्यता का दुश्मन घोषित करता हूं
(ईमि: 11.04.2020)

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