अरबी असर से मुक्त है हमारा हिंदुस्तान
फिरकापरस्ती का जुनून है हिंदू-मुसलमान
नादिशाह का बदला रफीक से लेता है शैतान
समानुभूतिक एहसास बनाता हमें इंसान
नाराए तकवीर है वैसे ही दंगाई नारा
जैसे है जयश्रीराम युद्धोंमादी ककहरा
दोनों की मिलीभगत है मानवता की बर्बादी में
बोने की नफरती जहर इसानों की आबादी में
तोड़ा है मिलकर मुल्क का भूगोल ओ इतिहास
साजिश है भविष्य की सामासिकता के खिलाफ
करना है नाकाम इनके मिलेजुले नापाक प्रयास
निपटाएंगे मिलजुल हम बाभन-दलित का झगड़ा
और मुल्क तोड़ने का फिरकापरस्ती का लफड़ा।
जन्नत और हूरें हैं वैसे ही फर्जी दिमागी उड़ान
जैसे कपोलकल्पना बैकुंठ और अप्सराओं की
मुबारक हो ऐसा अद्भुत ज्योतिषी ज्ञान
जानता है जो जाएगा कहां मरणोपरांत इंसान
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