Monday, April 20, 2020

फुटनोट 378 (भीड़ हिंसा)

अफवाहजन्य भीड़ हिंसा का जो दौर 2014 के बाद गोरक्षी भीड़ हिंसा से शुरू हुआ वह एक पुलिस इंस्पेक्टर समेत अभी तक अनगिनत जानें ले चुका है। उंमादी भीड़ उस हिंसक जानवर की तरह होती है जिसके मुंह मनुष्य का खून लग जाए। अफवाहफैलाने वालों को कड़ी सजा मिसनी चाहिए, जिससे मिशाल कायम हो। महाराष्ट्र के पुलिस के अनुसार हिंसक भीड़ ने गश्ती पुलिस पर हमला किया जिसे जान बचाकर भागना पड़ा, और पुलिसबल आने तक देर हो चुकी थी। फिरकापरस्ती के जहर से देश कामाहौल प्रदूषित करने वाले चोर के अफवाह में हुई उंमादी भीड़ हिसा को सांप्रदायिक रंग देने में लग गए हैं।

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