Atul Mishra मैं बिल्कुल तिलमिलाया नहीं, ऐसी घटनाओं के लिए हम जैसों की मानवीयता की पक्षधर मानसिकता नहीं, भीड़ हिंसा के सेलेक्टिव आधार पर समर्थन की अमानवीय सांप्रदायिक मानसिकता जिम्मेदार है। भीड़ जब नरभक्षी हो जाए तो वह सेलेक्टिव नहीं होती। हिंदू-मुसलमान के नरेटिव की अमानवीय मानसिकता इस तरह की घटनाओं की जिम्मेदार है, जो हिंदू-मुसलमान की जीववैज्ञानिक दुर्घटना की अस्मिता से ऊपर उठकर इंसान नहीं बनने देती। मैं भी तू तू मैं मैं में नहीं पड़ना चाहता। निजी आक्षेप बर्दाश्त के बाहर होने पर छुटकारा ले लेता हूं। व्यक्ति का निजी चरित्र उसके भीड़ के चरित्र से बिल्कुल अलग होता है।
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