Monday, June 12, 2023

शिक्षा और ज्ञान 305 (बाभन से इंसान)

 हमारे खानदान में कभी किसी ने पुरोहिती नहीं की. कम-से-कम हमारे परदादा की पीढ़ी से, जिन्हें मैंने नहीं देखा था, गांव -जवार के बहुत बुजुर्गों से उनकी कहानियां सुना है। वे फारसी और संस्कृत के विद्वान माने जाते थे और आयुर्वेद के जानकार। वे न किसी से इलाज का पैसा लेते थे न किसी के घर जाते थे। आने में असमर्थ दूर-दराज के मरीज के 24 घंटे के अंदर पहने गए अंडरगार्मेंट की गंध से डाइग्नोज करके दवा बताते थे। अब सुनी-सुनाई बातें कितनी सही है पता नहीं, लेकिन सभी यही बताते थे।


बाभन से इंसान बनना जन्म की जीवनवैज्ञानिक संयोग की अस्मिता की प्रवृत्तियों के पर्वाग्रह-दुराग्रहों से मुक्त होकर विवेकसम्मत इंसान बनने का मुहावरा है। इसमें भूमिहार या अहिर अथवा हिंदू-मुसलमान से इंसान बनना भी शामिल है

Friday, June 2, 2023

सत्योत्तर युग में बोलना राजद्रोह माना जाता है

 सत्योत्तर युग में बोलना राजद्रोह माना जाता है

सत्योत्तर युग में बोलना राजद्रोह माना जाता है
क्योंकि राजा को लगता है
कि जो भी बोलता है जो भी बोलेगा वह उसके विरुद्ध होगा
हर निरकुंश राजा कायर होता है और लोगों से डरता है
जब भी सुदृढ़ सुरक्षा घेरे में उसका कारवां सड़क पर निकलता है
सड़कें खाली करवा लेता है
क्योंकि कि उसको लगता है
कि लोग सड़क पर निकलेंगे तो उसके विरुद्ध जुलूस बन जाएंगे
और जुलूस से उसे डर लगता है
वह गोरख पांडेय के शब्दों में
तमाम धनदौलत गोला बारूद के बावजूद वह इस बात से डरता है
कि निहत्थे लोग उससे डरना न बंद कर दें
वह निहत्थे लोगों से इतना डरता है
कि वह सेना-पुलिस की बदौलक उन्हे डराकर रखना चाहता है
कि लोग डरें और चुप रहें
क्योंकि उसे लोगों का बोलना अपने विरुद्ध बगावत लगता है
और उन्हें राजद्रोह के मुकदमों से डराना चाहता है
लेकिन डर डर नहीं जी जाती जिंदगी
डर डर मरता है मनुष्य टुकड़ों में
इसलिए बंद करिए डरना और बोलिए, बोलते रहिए
और नहीं तो खुद को यह एहसास दिलाने के लिए बोलते रहिए
कि आप अभी भी जिंदा हैं
जो भी मन में आए बोलिए और बोलते रहिए
एक दिन आपके बोलने से इतना डर जाएगा राजा
कि भाग जाएगा
और बोलना राद्रोह नहीं, मुक्ति का गीत बन जाएगा
मानव मुक्ति का गीत।

(ईमि: 02.06.2023)