मित्र कृष्ण मुहम्मद ने दिवि कैंपस में दिसंबर 2018 में दिल का पहला दौरा पड़ने के पहले की मुलाकात की एक तस्वीर शेयर किया, उस पर यह कमेंट लिखा गया।
धन्यवाद साथी। रिटायर होने सा सबसे अधिक कष्ट कैंपस छूटने का है, आपके साथ वह अविस्मरणीय मुलाकात थी। बौद्धिक जीवन व्यवस्थित करने के प्रयास में लगा हूं। अभी तो दिमाग दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, .... से पैदल, बसों की छतों पर लटककर अपने अपने गांव पहुंचे, जा रहे मजदूरों के बारे में ही सोच रहा हूं। सोसल मीीडिया में खबरें हैं कि उन्हें गांव के बाहर ही टेस्ट के लिए रोका जा रहा है, शहरों में तो उपयुक्त सुविधाएं हैं नहीं, गांव की क्या? गांव पहुंच कर क्या करेंगे? गांव में रोजी का जुगाड़ होता तो 1000 किमीी दूर रिक्शा चलाने, गारा माटी करने, खोमचा-रेड़ी लगाने शहर क्यों आते? दिल्ली में रहने-खाने का जुगाड़ होता तो परिवार के साथ , भूख-प्यास झेलते 700-800 किमी पैदल क्यों चलते? लाक डाउन खत्म होने के बाद भी उनका जीवन पहले सा नहीं होने वाला? अब ज्यादातर परिवार के साथ नहीं अकेले लौटेंगे। गरीब-अमीर का फर्क साफ दिख रहा है। प्रधानमंत्री उन्हें योग करने की नसीीहत दे रहे हैं, दिल्ली के मुख्यमंत्री गीता पढ़ने की और बाकी मंत्री रामायण महाभारत देखने की। विवेकानंद कह गए हैं, भूखे भजन न होइं गोपाला।
उस मुलाकात के बाद दिल के दो दौरों (एक रिटायरमेंट के पहले एक बाद) और रिटायरमेंट के चलते कैंपस की झोपड़ी के छूटने से दिनचर्या तो बदल गयी है लेकिन सोच और उम्मीदें नहीं। पूंजीवाद के मौजूदा संकट का निदान पूंजीवाद में नहीं दिखता समाजवादी विकल्प की ताकतें बिखरी-टूटी हुई हताश-निराश हैं। सीएए विरोधी आंदोलन के उभार में उमड़े नेतृत्वविहीन नवजवानों खासकर महिलाओं के हुजूम में उम्मीद की जो लौ दिखी है, वह ही शायद वर्ग संघर्ष के अगले चरण कीी वाहक हो। महामारी और पूंजीवाद का संकट और पूंजीवादी दमन भूमंडलीय है इसलिए प्रतिरोध और विकल्प भी भूमंडलीय ही होंगे।
आप ने सही कहा, आशा है कोरोना महामारी के साथ पूँजीवाद की भी अर्थी निकल जाएगी। लेकिन एक बड़ा खतरा यह है की इस की आड़ तानाशाही भी पनप सकती है, मोदी सरकार के हरकतें हम लोग देख ही रहे हैं। विशव के पैमाने पर जो खतरा है उस के लिए यह लेख देखें: https://www.telegraphindia.com/world/for-autocrats-outbreak-is-chance-to-grab-more-power/cid/1760957
ReplyDeleteपढ़ लिया इस्लाम भाई, तानाशाहई पनपने का खतरा वास्तविक है।
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