Thursday, April 9, 2020

मार्क्सवाद 206 (महामारी)

दुनिया इस महामारी के पहले से ही आर्थिक संकट के गहराते चरण में थी। महामारी से संकट और गहन होता जाएगा।अमेरिका में पूंजीवाद के अंदर इसके समाधान की संभावनाएं सूख चुकी हैं। वैकल्पिक समाधान, समाजवाद की शक्तियां दुनिया के राजनैतिक मानचित्र पर गूलर के फूल सी हैं। 1930 की महामंदी के संकट के खेवनहार ऐडम स्मिथ को अपदस्थ कर केंस थे, और समाधान कल्याणकारी राज्य नियंत्रित अर्थव्यवस्था, जिन्हें अमानवीय नवउदारवाद के उदारीकरण-निजीकरण ने ने अपदस्थ कर दिया। फिलहाल पूंजीवाद के अंदर एकमात्र समाधान केंस की बहाली ही दिख रही है। स्पेल ने स्वास्थ्य सेवाओं का अस्थाई अधिग्रहण (राष्ट्रीयकरण नहीं) किया है, इंगलैंड भी कुछ ऐसा ही करने की सोच रहा है। अमेरिका में परवरी सो मार्च तक तक बेरोजगारी 3 फीसदी से बढ़कर 17 फीसदी हो गयी है। 1 करोड़ से अधिक लोगों ने बेरोजगारी भत्ता के लिए आवेजन दिया है। हमारे यहां ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है, बेरोजगार-बेघर भूखों मरने को अभिशप्त हैं। स्केवेंडियन तथा पूर्वी यूरोप के कई देशों ने कल्याणकारी प्रतिष्टानों को भंग नहीं किया है, वहां समस्या इतनी जानलेवा नहीं है। शासक वर्ग (ट्रंप और मोदी नहीं, पूंजीपति वर्ग, ट्रंप, मोदी तो चाकर हैं) हमेशा कृतिम और गौड़ अंतर्विरोध उछालकर मुख्य अंतर्विरोध की धार कुंद करता है और ध्यान भटकाता है। हमारे देश के शासक वर्ग आत्मघाती अंधभक्तों की मदद से हर संकट हिंदू-मुसलमान के भजन से सफलतापूर्वक भटकाता रहा है। दिसंबर से ही चीन से खबरें आ रहीं थी, हमारी सरकार और उसके अंधभक्त देशव्यापी सांप्रयायिक कानून के विरुद्ध प्रतिरोध को बुझाने, खत्म करने, गोली मारने और दिल्ली चुनाव के लिए सांप्रदायिक उंमाद को हवा देने में व्यस्त थी। कॉरपोरेटी दलाल, अरिजोना के जंगलों को राख करने वाले ब्राजील के राष्ट्रपति की विदाई के कुछ ही दिनों बाद 31 जनवरी को कोरोना का पहला मामला सामने आया लेकिन सरकार ट्रंप के लिए भीड़ जुटाने में व्यस्त थी और फिर मुसलमानों से दिल्ली चुनाव में हार का बदला लेने के लिए दंगे करवाने में। फिर बिना किसी इंतजाम और तैयारी के 4 घंटे की सूचना पर लाकडाउन कर दिया।एकाएक बेरोजगार-बेघर हो गए मजदूर, पुलिस की मार खाते, मेढक-मुर्गा बनते पैदल ही घर निकल पड़े, कितने ही रास्ते में दम तोड़ दिए। सरकार के पास कोई रास्ता नहीं है, अंधभक्तों की मदद से कुछ समय के लिए हिंदू-मुस्लिम करके ध्यान भटका सकती है, लेकिन समाधान के लिए ठोस कदम की जरूरत है।

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