कुछ संयोग ऐसे हो सकते हैं, जिनसे किसी अलौकिक शक्ति का बोध हो। दर-असल विभिन्न परिस्थितियों में अज्ञात के भय औक उत्कंठा से मनुष्य ने अलौकिक शक्ति की अवधारणा का निर्माण किया इसीलिए उसका चरित्र और स्वरूप देश-काल के अनुसार बदलता रहता है। पहले ईश्वर निर्बल और असहाय की मदद करता था, अब सामाजिक डार्विनवाद के तहत सक्षम की। God helps those who help themselves. मुझे किसी की आस्था से कोई परेशानी नहीं है, मेरी पत्नी समर्पित आस्तिक हैं। रोज घंटों पूजा करती हैं तथा दुर्गा जी से कोरोना के विनाश के चमत्कार की प्रार्थना रोज करती हैं। दुखों से परिपूर्ण दुनिया में अलौकिक शक्ति की आस्था दुखों से लड़ने के संबल की भ्रांति देती है। वास्तविक संबल मिलने तक भ्रांति को खत्म नहीं किया जा सकता।
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