राष्ट्रवाद एक आधुनिक अवधारणा है, जिसका कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कोई जिक्र नहीं है, धारावाहिक में राष्ट्र की बात चंद्रप्रकाश का मौलिक अन्वेषण है। कौटिल्य गणतंत्रों (संघों) का संज्ञान तो लेते हैं लेकिन राजतंत्र के समर्थक हैं। कौटिल्य का अर्थशास्त्र, विकास के उस चरण में, शासनशिल्प की अद्भुत रचना है। राज्य की उनकी परिभाषा (सप्तांग सिद्धांत) राजनैतिक चिंचन के इतिहास में महान प्राचीन भारतीय योगदान। उनका राजा (राजर्षि) विस्तारवादी विजीगिषु (विजयाकांक्षी) था जो 12 राज्यों के मंडल में एक एक कर सबको पराजित कर राज्य विस्तार करता है(मंडल सिद्धांत)। राष्ट्रवाद की अवधारणा आधुनिक राष्ट्र-राज्य की विचारधारा के रूप में विकसित हुई।
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