1977-80 के दौरान, उनकी जीवनी लेखक ब्रह्मानंद जी के कमरे पर चंद्रशेखर से कई मुलाकातें हुई थीं। वे जनता पार्टी के अध्यक्ष थे। इवि के अपने दिनों के बारे में कई बातें बताते थे। ब्रह्मानंद जी राज्यसभा सदस्य दयानंद सहाय के साउथ एवेन्यू से सटे कुशक रोड स्थित घर में पीछे एक कमरे में रहते थे, जहां तीनमूर्ति मार्ग के अपने आवास से वे कभी कभी आ जाते थे। ब्रह्मानंद जा ने जयप्रकाश नारायण और आचार्य नरेंद्रदेव के लेकन का संकलन-संपादन किया है। [JP -- Towards Total Revolution (in 3 Volumes); Acharya Narendra Dev -- Towards Socialism ] मेरे पास ये पुस्तकें मुझे ब्रह्मानंद जी भेंट ने की थी। 1982 के आसपास ब्रेन हैमरेज हुआ और एम्स में लगभग 2 महीने कोमा में रहने के बाद चल बसे। चंद्र शेखर की 1977 में जेएनयू में बहुत सौम्य लहजे में भाषण की एक पंक्ति याद है. ' जब भी सत्ता संत से टकराती है, चूर चूर हो जाती है.....' चंद्र शेखर सूरज देव जैसे बाहुबलियों से रिश्ता न रखते. पदयात्रा में धनपशुओं से खूब अनुदान लेकर सरकारी पहाड़ियों पर निजी भोड़सी आश्रम न खोलते तो अपने समकालीनों में सबसे योग्य नेता थे।
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