Friday, April 30, 2021

मोदी और मैक्यावली

 विजयोपरांत राज्य स्थापित करने वाले शासक को मैक्यावेली सलाह देता है कि उसे सबसे अधिक सजगअपने पुराने सहयोगियों से रहना चाहिए, खासकर खुद को किंगमेकर समझने वालों से. जो सहयोगी से दरबारी बनकर फर्शी बजा रहे हैं उनके दिमाग में भी फर्शी लगाने की बजाय सिंहासन पर बैठने का ख्याल आएगा ही. सबसे पहले इन्हें किनारे करने की कोशिस करनी चाहिए, चाहे जितने भी छलकपट, धोखाधड़ी और फरेब करना पड़े क्योंकि साध्य की सुचिता होती है साधन की नहीं. मोदी ने पार्टी के अंदरूनी दावेदाररों को विजय के पहले ही किनारे लगा दिया. अकेले मोदी जी ही राष्ट्रीय नेता हैं, बाकी सब -- पूर्व अध्यक्ष और राजग शासनकाल मेँ किसी ज्योतिषी खे कहने पर प्रधानमंत्री बनने के लिए इलाहाबाद के बाल्टी बाबा को टेंडर देने वाले, प्रोफसर मुरली मनोहर जोशी, 1984 में सिखविरोधी नरसंहार द्वारा निर्मित उंमाद के ध्रुवीकरण से राजीव गांधी की अभूतपूर्व सफलता से प्रेरित, शिलापूजनों और रथयात्रा से मुल्क के माहौल को सांप्रदायिकता से विषाक्त कर शासक बनने का सपना दिखने वाले और 2002 में अपने चहेते मोदी की कवच बन बाजपेयी के राजधर्म को फिसड्डी की तरह मसल देने वाले, पूर्व अध्यक्ष आडवानी, अपने को बाबरी विध्वंस की नायिका मानने वाली उमा भारती, अपने को बीजेपी का विचारक मानने वाला जेटली, उप्र में प्रदेश से देश के नेता की कतार में लगे कलराज मिश्र, केशरीनाथ त्रिपाठी .... समेत सभी नेताओं को अपने चुनाव क्षेत्रों में सीमित कर दिया. देश का दौरा सिर्फ एक नेता कर रहा है. अंदरखाने की खबर है कि अमित शाह इनमें से जोशी और केसरीनाथ समेत कइयों को हराने की जुगाड़ में है. इसमें राजनाथ सिंह की मिलीभगत का शक है जिससे भाजपा का ब्राह्मण कैडर बदले गाज़ियाबाद से भागकर लालजी चंडन को विस्थापित कर लखनऊ से लड़ने वाले राजनाथ को हराने की जुगाड़ में है. जोशी द्वारा मोदी लहर केखंडन का अपमान वह भूल नहीं पाया है और न ही जोशी भूल पोए हैं विस्थापन का अपमान. मोदी ने मैक्यावली पढ़ा नहीं अपने किसी अधकचरी जानकारी वाले सलाहकार की सलाह पर चल रहा है इस लिए जिस काम की सलाह मैक्यावली विजय के बाद करने की देता है, मोदी जी ने पहले ही शुरू करके राह दुरूह कऱ लिया. बाबरी विध्वंस के नायक आडवाणी का अभियान जनता ने रोक दिया और गठबंधन की मजबूरी में बाजपेयी के सिर पर ताज़ चला गया.(यह कमेंट तो बढ़ता जा रहा है)


मोदी ने मैक्यावली की रचनाएं तो पढ़ा नहीं होगा लेकिन आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत की बुनियाद रखने वाले मौक्यावली नवजागरण काल क्लासिक, "Prince" आज लिख रहे होते तो मोदी उनके ज्वलंत, जीवंत, जीवित माॉडल होते. मैक्यावली का समकालीन जीवित मॉडल था कार्डिनल सीजर बोर्जियाज जो बाद में पोप अलेक्ज़ेंडर षष्टम बना और जिससे घणतांत्रिक फ्लोरेंस की चांसरी के सेक्रेटरी के रूप में अपने रोम प्रवास के दौरान कई बार मिल चुके थे और चर्च की राजनैतिक सत्ता के विस्तार के लिए उसकी क्रूरताओं के प्रत्यक्षदर्शी थे. सीजर की अपनी जेल थी, जल्लाद और पेशेवर हत्यारे थे तथा ज़हरनवीश थे. बाद की कोटि के कारिंदों की व्यस्तता इनमें सर्वाधिक थी. मैक्यावली लिखते हैं कि सीजर ने लोगों के साथ धोखाधड़ी के अलावा कुछ नहीं किया और इसके लिए उसे समुचित अवसर भी मिलते रहे, जिसे वह निहायत खूबसूरती से (मैग्नीफिसेंटली) अंज़ाम देता था. मैक्यावली सीजर बोर्जियाज का प्रशंसक था तो उसके बेटे का महिमा-मंडन करता था जो क्रूरता और धूर्तता में अपने बाप का भी बाप था. बाप के उत्तराधिकारी बनने के अभियान में उसने अपने भाई और बहनोेई को टपकवा दिया क्योंकि पोप एक-दो बार जब रोम से बाहर गया तो अपनी बेटी को चार्ज देकर गया था. मैक्यावली को उसके आपराधिक कृत्यों से कोई परेशानी नहीं थी बस एक ही शिकायत थी कि फरेब में अतिआत्मविश्वास जनित शिथिलता के कारण बाप की मौत के बाद पोप नहीं बन पाया.

30.04.2014
......जारी

Thursday, April 29, 2021

फुटनोट 255 (सम्मान)

 सम्मान सदा पारस्परिक होता है। मुझसे जब कोई कहता था के मेरे विद्यार्थी मेरा बहुत सम्मान करते हैं तो मैं कहता कि कौन सा एहसान कर रहे हैं, मैं भी तो उनका सम्मान करता हूं। आज संयोग से 2002, 2006, 2009, 2013 और 2015 में पास होने वाले असम के 5 (3 लड़कियां 2 लड़के)विद्यार्थियों के फोन आए सबकी बातो में संयोग से एक बात common थी "We are very grateful that you treated us so friendly". मैंने सबको एक ही जवाब दिया जो पहले भी देता था। "पहली बात तो यह कि आपने मेरा कोई खेत नहीं काटा है कि unfriendly व्यवहार करूं. दूसरी बात in my own best self interest as you an enjoy any relationship only if it is democratic, at par and transparent. Mutual respect follows automatically." 2002 वाली असम सिविल सर्विस के किसी ऊंचे पद पर है, 2006 वाली लड़की लंदन में रेडक्रॉस में किसी बड़े पद पर है 2009 वाला लड़का इको टूरिज्म का कोई प्रोजेक्ट कर रहा है तथा किसान नेता अखिल गोगोई की पार्टी का कार्यकर्ता है. 2013 वाला, जिसका मैं नाम ही भूल गया था, एक एनजीओ चलाता है और अपने कांग्रेसी पिता की राजनीति में मदद करता है तथा 2015 वाला बालक तेजपुर केंद्रीय विवि से एलएलम कर रहा है तथा ऐग्रोटूरिज्म का कोई प्रोजेक्ट विकसित कर रहा है।

शिक्षा और ज्ञान 301 (वाद-विवाद)

 छोटे-बड़े का लिहाज बिल्कुल होनी चाहिए, लेकिन शीर्षासन करके नहीं, समता भाव से। सीखने के लिए सबमसिव होना शिक्षा की अधिनायकवादी परंपरा है जिसमें व्यक्ति भेंडों की तरह अंध अनुयायी बनता है, तार्किक इंसान नहीं। सही ज्ञान असेर्टिव होकर सवाल करने का साहस अर्जित कर शिक्षा की जनतांत्रिक परंपरा कायम करने में है। बुद्ध के शिष्य उनसे ही नहीं उनपर सवाल करते थे। मैं अपने उन छात्रों को अतिरिक्त प्यार से याद करता हूं जिन्होंने कभी मुझ पर सवाल किए। बोौद्ध शिक्षा पद्धति जनतांत्रिक थी और गुरुकुल परंपरा अधिनायकवादी जिसमें गुरु अंतिम सत्य का वाहक माना जाता था। ज्ञान सवाल करने से आता है गुरुर्देवो भव की भावना से गुरु का अनुशरण करने से नहीं।

हॉस्टल की वार्डनशिप

Raj K Mishra मैं अपने उन छात्रों का अतिरिक्त सम्मान करता हूं, जिन्होंने कभी असहज सवाल पूछा। एक घटना शेयर करके कुछ काम करने बैठता हूं।

मैं हॉस्टल में वार्डन था। कॉलेज के किसी कार्यक्रम में दो बच्चों ने छोटी-मोटी मार-पीट किया। एक लड़का कुछ और लड़कों के साथ आया और रो-गाकर बेचारे की छवि (victim image) बनाया और दूसरा घर चला गया। सहजबोध का तर्क यह लगा कि गलती होगी तभी 'भाग गया'। 3 साल के कार्यकाल में किसी छात्र को मिलने वाला एकमात्र दंड था Show cause notice, जिसे वे प्रेमपत्र कहते थे। सुंदर सा प्रेमपत्र डाइनिंग हाल के नोटिसबोर्ड पर लगा दिया जाता था। मैं सारे फैसले उनकी जीबीएम (आमसभा) में बहस के बाद पारित होते। यदि आप ईमानदारी से जनतांत्रिक पारदर्शिता से सही काम करें तो आपकी बात लोग मानेंगे ही। जीबीएम के लिए डाइनिंगरूम खचा-खच भरा था। एजेंडा रखते ही क्लास में आमतौर पर चुप रहने वाले मेरे 2 छात्र -- जयंत महेला और कार्तिक -- प्रतिरोध के स्वर में बोल पड़े, "सर आप पक्षपात कर रहे हैं" और पूरी बात बताया। मुझे गलती का एहसास हुआ कि बिना अच्छी तरह छानबीन किए किसी निष्कर्ष नहीं पहुंचना चाहिए। मैंने माफी मांगा और गलती-माफी पर लंबा संवाद चला।

वार्डनशिप के कार्यकाल का अंतिम प्रेमपत्र इस शुरुआत के साथ खुद को लिखा, "With due gratitude to dissenting voices in GBM.....". एक शिक्षक को मिशाल से पढ़ाना चाहिए, प्रवचन से नहीं। यदि छात्रों से कहता हूं कि गलती होने पर माफी मांगना चाहिए, तो अपनी गलती का एहसास होने पर खुद भी माफी मांगना चाहिए। प्रेमपत्र पाने वाले बच्चे ज्यादा प्यार करते हैं।

मुझे अपनी teaching की सफलता का एहसास हुआ क्योंकि मैं पहली क्लास में ही उन्हें जो चंद बातें बताता था उनमें एक थी, "Key to any knowledge is questioning; question anything and everything beginning with your own mindset." और यह कि "Knowledge does not come from what you are taught but by questioning what you are taught." और "Learning is just one part of knowledge process, more important part is unlearning. Unlearn the acquired morality, acquired without conscious will and replace them with rational morality that is acquired with conscious will." Unlearning की शुरुआत क्लास में क्लास में मेरे आने पर खड़े होने की मनाही से होती थी। कोई भी काम मत करिए जिसका कारण पता न हो। पीढ़ी-दर-पीढ़ी टीचर के सम्मान का जवाब मान्य नहीं है। बेंच से 6 इंच ऊपर होने से
सम्मान की कोई गारंटी नहीं है। इज्जत दान-खैरात में नहीं मिलती, कमाई जाती है और पारस्परिक होती है। मेरी क्लास में कोई खड़ा नहीं होता था, आदतन कोई खड़ा हो गया तो पूठता कि उनकी क्या समस्या है। क्लास में खड़ा न होने का यह मतलब नहीं कि वे मेरा सम्मान नहीं करते थे।

Wednesday, April 28, 2021

केदारजी

 पीके को एनसीईआरटी के लिए 2 प्रोपोजल जमा करना था एक नागार्जुन पर एक केदार जी पर। हमें और निधि को यह काम सौंपा गया। मैंने नागार्जुन पर लिखा (काश संरक्षित किया होता) और निधि ने केदार जी पर। केदारजी वाला प्रपोजल मंजूर हुआ। मैं शूटिंग में असोसिएट डायरेक्टर के रूप में शामिल था शूटिंग के दौरान स्क्रिप्ट पर भी काम करना था, कविताओं का विजुअलाइजेसन साथ साथ करना था। शीर्षक (क से कविता) कविता उनके गांव के जंगल और प्राइमरी स्कूल में शूट की गई। माझी का पुल शूट करने हम बिहार सीमा पर माझी के पुल पर गए। वहां इतने सस्ते में लिट्टी-चोखा का इतना स्वादिष्ट अल्पाहार कर पूरी यूनिट हतप्रभ थी। उनकी बनारस कविता की शूटिंग के दौरान मैंने कहा था, केदार जी हमारे अमिताभ बच्चन हैं, उन्होंने अपने अद्भुत हास्यबोध की अदा से पूछा कि तारीफ कर रहा था कि बुराई? वे गंगापार किनारे पड़ी उल्टी नाव की टेक लेकर कविता पढ़ रहे थे, गंगा में दिए तैर रहे थे और उस पार मणिकर्णिका पर जलती लाशों की सीढ़ियां दृष्टिगोचर हो रही थीं। पीके को एनसीईआरटी के लिए 2 प्रोपोजल जमा करना था एक नागार्जुन पर एक केदार जी पर। हमें और निधि को यह काम सौंपा गया। मैंने नागार्जुन पर लिखा (काश संरक्षित किया होता) और निधि ने केदार जी पर। केदारजी वाला प्रपोजल मंजूर हुआ। मैं शूटिंग में असोसिएट डायरेक्टर के रूप में शामिल था शूटिंग के दौरान स्क्रिप्ट पर भी काम करना था, कविताओं का विजुअलाइजेसन साथ साथ करना था। शीर्षक (क से कविता) कविता उनके गांव के जंगल और प्राइमरी स्कूल में शूट की गई। माझी का पुल शूट करने हम बिहार सीमा पर माझी के पुल पर गए। वहां इतने सस्ते में लिट्टी-चोखा का इतना स्वादिष्ट अल्पाहार कर पूरी यूनिट हतप्रभ थी। उनकी बनारस कविता की शूटिंग के दौरान मैंने कहा था, केदार जी हमारे अमिताभ बच्चन हैं, उन्होंने अपने अद्भुत हास्यबोध की अदा से पूछा कि तारीफ कर रहा था कि बुराई? वे गंगापार किनारे पड़ी उल्टी नाव की टेक लेकर कविता पढ़ रहे थे, गंगा में दिए तैर रहे थे और उस पार मणिकर्णिका पर जलती लाशों की सीढ़ियां दृष्टिगोचर हो रही थीं। पीके को एनसीईआरटी के लिए 2 प्रोपोजल जमा करना था एक नागार्जुन पर एक केदार जी पर। हमें और निधि को यह काम सौंपा गया। मैंने नागार्जुन पर लिखा (काश संरक्षित किया होता) और निधि ने केदार जी पर। केदारजी वाला प्रपोजल मंजूर हुआ। मैं शूटिंग में असोसिएट डायरेक्टर के रूप में शामिल था शूटिंग के दौरान स्क्रिप्ट पर भी काम करना था, कविताओं का विजुअलाइजेसन साथ साथ करना था। शीर्षक (क से कविता) कविता उनके गांव के जंगल और प्राइमरी स्कूल में शूट की गई। माझी का पुल शूट करने हम बिहार सीमा पर माझी के पुल पर गए। वहां इतने सस्ते में लिट्टी-चोखा का इतना स्वादिष्ट अल्पाहार कर पूरी यूनिट हतप्रभ थी। उनकी बनारस कविता की शूटिंग के दौरान मैंने कहा था, केदार जी हमारे अमिताभ बच्चन हैं, उन्होंने अपने अद्भुत हास्यबोध की अदा से पूछा कि तारीफ कर रहा था कि बुराई? वे गंगापार किनारे पड़ी उल्टी नाव की टेक लेकर कविता पढ़ रहे थे, गंगा में दिए तैर रहे थे और उस पार मणिकर्णिका पर जलती लाशों की सीढ़ियां दृष्टिगोचर हो रही थीं। पीके को एनसीईआरटी के लिए 2 प्रोपोजल जमा करना था एक नागार्जुन पर एक केदार जी पर। हमें और निधि को यह काम सौंपा गया। मैंने नागार्जुन पर लिखा (काश संरक्षित किया होता) और निधि ने केदार जी पर। केदारजी वाला प्रपोजल मंजूर हुआ। मैं शूटिंग में असोसिएट डायरेक्टर के रूप में शामिल था शूटिंग के दौरान स्क्रिप्ट पर भी काम करना था, कविताओं का विजुअलाइजेसन साथ साथ करना था। शीर्षक (क से कविता) कविता उनके गांव के जंगल और प्राइमरी स्कूल में शूट की गई। माझी का पुल शूट करने हम बिहार सीमा पर माझी के पुल पर गए। वहां इतने सस्ते में लिट्टी-चोखा का इतना स्वादिष्ट अल्पाहार कर पूरी यूनिट हतप्रभ थी। उनकी बनारस कविता की शूटिंग के दौरान मैंने कहा था, केदार जी हमारे अमिताभ बच्चन हैं, उन्होंने अपने अद्भुत हास्यबोध की अदा से पूछा कि तारीफ कर रहा था कि बुराई? 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