यह आर्थिक संकट भूमंडलीय पूंजी का है, आने वाले दिन 1930-45 के संकट से भी भयानक होने जा रहा है, वह संकट तो केंसियन अर्थशास्त्र से हल हुआ लेकिन किसी और चुनौती की गैरमौजूदगी में मौजूदा भूमंडलीय पूंजी का अहंकार और लालच उसे कल्याणकारी नीतियों को बहाल नहीं करने देगा। हमारी अर्थव्यवस्था अभी नोटबंदी के प्रलय से ही नहीं उबरी पाई है, भविष्य का संकट भयानक होने जा रहा है, अभी की रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी प्रलयंकारी हो जाएगी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment