अंबेडकर मूर्ति-माला संस्कृति के विरोधी थे जैसा कि बौद्ध दीक्षा लेने के समय के उनके संकल्प पत्र से जाहिर है। नेहरू का शाखा में जाना, आरएसएस की चीन युद्ध के समय सहायता या नेहरू की उसकी प्रशंसा सब संघी अफवाहतंत्र की रचना है। ब्राह्मणवाद बुद्ध के विचारों से नहीं लड़ सका तो भगवानत्व की अवधारणा के विरोधी बुद्ध को अवतार बना लिया। वही हाल अंबेडकर के साथ है, दलितों में अंबेडकर के प्रभाव तथा जनतंत्र में संख्याबल के महत्व के चलते अंबेडकर के विचारों को दरकिनार कर संघ गिरोह उन्हें संघी साबित करने पर तुला है जिसमें राम विलास, राम अठावले जैसे कई अंबेडकरी राम उनके सहायक हैं।
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