Saturday, April 4, 2020

लल्ला पुराण 294 (रामायण)

मैं तो नास्तिक हूं अल्लाह को भी बाकी खुदाओं की तरह कपोलकल्पित मानता हूं। कोई भी रचनाकार अपनी रचना के नायक के चरित्र में में अपनी वांछित व्वस्था के आदर्श गुणों का समावेश करता है। वाल्मीकि के पहले से रामकथाएं चली आ रही थीं, मिथिला में प्रचलित एक रामकथा की सबसे प्रमुख एवं बलशाली पात्र सीता हैं। बुद्ध रामायण बाल्मीकि रामायण के पहले का है। बाल्मीकि रामायण पुराणकाल का, पहली शताब्दी ईशापूर्व के बाद का है, जो बौद्ध संस्कृति के पराभव तथा वर्णाश्रमी संस्कृति के पुनरुत्थान का काल है। वर्णाश्रमी संस्कृति पितृसत्तात्मक (पुरुषवादी) भी है। राम पुरुषवादी, वर्णाश्रमी संस्कृति के मूल्यों के वाहक भी हैं। यदि यह मान भी लें कि उत्तरकांड मूल रामायण में क्षेपक है तब भी राम-सीता संवाद लंका कांड में ही है, जिसमें राम सीता से कहते हैं कि उन्होंने युद्ध उन जैसी स्त्री के लिए नहीं बल्कि रघुकुल की नाक के लिए जीता है तथा वे विभीषण, सुग्रीव.... किसी के भी साथ जाने के लिए स्वतंत्र हैं। चूंकि फिक्सन में इतिहास की तरह संदर्भ की बाध्यता नहीं होती, इसलिए अलग अलग राम कथाओं में कहानियों में फर्क है। तुलसी के रामचरित मानस में बाल्मीकि रामायण के कई प्रकरण गायब हैं, कई नए प्रकरण जुड़ गए हैं।

No comments:

Post a Comment