1881 या 1882 में एक विद्वान ने उनसे साम्यवाद की रूपरेखा पर सवाल किया, मार्क्स ने जवाब दिया कि भविष्ट की पीढ़ियां अपने कार्यक्रम खुद तय करेंगी, भविष्य का कार्क्रमों की माथापच्ची वर्तमान के संघर्षों से भटकाव तथा भविष्य के कार्यक्रमों के खिलाफ साजिश है। साम्यवाद वर्ग विहीन, राज्य विहीन व्यवस्था होगी, जिसमें मनुष्यों के प्रबंधन की जगह वस्तुओं का प्रबंधन ले लेगी। उस व्यवस्था का संचालन, 'हर किसा से क्षमतानुसार हर किसी को आवश्यकतानुसार' के सिद्धांत पर होगा।
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