अमीर अमीर कैसे हुआ और कैसे गरीब गरीब हुआ?
यह तो एक घंटे के क्लास का प्रश्न है, संक्षेप में, पूंजीवाद ने श्रमिक को श्रम के साधन से मुक्त कर दिया जिसके चलते आजीविका के लिए हर व्यक्ति को श्रमशक्ति बेचना पड़ता है,श्रम शक्ति को खरीदने वाला परजीवी श्रमिक के श्रम शक्ति के उत्पाद का उल्लेखनीय हिस्सा अतिरिक्त मूल्य के रूप में हड़प लेता है और अमीर होता जाता है और श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद का छोटा हिस्सा मजदूरी के रूप में पाकर जीवनयापन करता है। मेरे एक करीबी रिश्तेदार हैं, पेशे से डॉक्टर हैं पहले डॉक्टरी करते भी थे और शुरुआती नाम उसी से कमाए। बाद में एक स्कूल से शुरू करके कई स्कूल शुरू कर दिए। फर्जी मेडिकल सर्टीफिकेट बनाने के अलावा एक धेले का काम नहीं करते और लाखों कमाते हैं, उनके स्कूल में 10-12 या 15 हजार में मास्टरी करने वाला पढ़ा-लिखा मजदूर किसी तरह जीवन यापन करता है। बेटे पढ़े-लिखे नहीं, लोफर निकल गए, भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों की कृपा से सरकारी ठेकेदारी करते हैं और बाप की ही तरह बिना एक कौड़ी का श्रम किए अच्छी आमदनी करते हैं। मेहनत करने वाला मजदूर गरीब रहता है और उनकी मेहनत हड़पने वाला स्कूल का मालिक या ठेकेदार अमीर हो जाते हैं। बाकी फिर कभी। पोलिटिकल इकॉनमी के सिद्धांत और इतिहास पर किताब लिखने की कोशिस कर रहा हूं।
18.04.2020
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