Sunday, April 5, 2020

राजा ने कहा थाली बजाओ

राजा ने कहा थाली बजाओ
हमने थाली बजाया
राजा ने कहा ताली बजाओ
हमने ताली बजाया
राजा ने कहा घर में अंधकार करो
हमने दिमागी अंधकार को घर में फैला दिया
राजा ने कहा महामारी के स्वागत में दीपोत्सव मनाओ
हमने दिये जलाया
घड़ी-घंट बजाया
शंखनाद में हमने महामारी का जयकारा किया
हम डर से राजा की बात मानते रहे
धीरे-धीरे हमारा डर
हमारी अंतरात्मा में समाता गया
हम दिलो-दिमाग से अंधभक्त हो गए
हम तक तक अज्ञान का अंधकार फैलाते रहेंगे
जब तक नष्ट नहीं हो जाती यह सभ्यता
यह मनुष्यता
शुरू किया था जिसे दोपायों ने
विवेक के इस्तेमाल से खुद को पशुकुल से अलग कर
[कलम बहुत दिनों बाद आवारगी पर उतरा]
(ईमि: 06.04.2020)

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