मरकज में तब्लीगियों के जमावड़े की ही तरह उनके समर्थन में जेएनयू के ये पोस्टर भी प्रायोजित लग रहे हैं क्योंकि जेएनयू में छात्र न के बराबर, प्रशासन की विशेष अनुमति से हैं। जेएनयू में तमाम संगठन हैं और वहां संगठन के नाम से पोस्टर लगाने की परंपरा रही है। वहां के प्रोफेसर मित्रों से पोस्टरों की प्रामाणिकता पता करने की कोशिस करता हूं। वैसे शासन की कमनिगाही के चलते गुजरात, राजस्थान से बसों और छतों पर लदकर आते ( वायरल हो रही वीडियो) मजदूर भी मजबूरन सोसल डिस्टेंसिंग के निर्देश का उल्लंघन कर रहे हैं। पुलिस की नाक के नीचे, वीजा समेत इतने तब्लीगियों का जमावड़ा आश्चर्य जनक है। जो भी हो इसने सरकार और उसके भक्तों को महामारी को भी हिंदू-मुस्लिम में तब्दील करने का विषय दे दिया। इस समय, समय की पुकार है कि धर्म को मुल्तवी कर विज्ञान की शरण लें। जापान, कोरिया, क्यूबा, बेनेजुएला से सीखें।
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