संघी भोंपू 90 साल से तुष्टीकरण का राग अलाप रहे हैं, यदि ऐसा होता तो राजनीति, शिक्षा और प्रशासन के प्रतिष्ठानों में मुसलमानों का अनुपात कम-से-कम आबादी के अनुपात में होता। चुनावी जनतंत्र में सब बहुसंख्यक तुष्टीकरण ही करते हैं। संघ गिरोह तो हिंदू-मुसलमान करता फिरता ही है, बाकी भी वही करते हैं। राजीव गांधी मंदिरों की परिक्रमा करते हैं और उनके चमचे उनका जनेऊ दिखाते घूमते हैं तो अखिलेश खुद को सबसे बड़ा कृष्णभक्त घोषित करते हैं। अडवाणी शिलापूजन शुरू करता है तो राजीव गांधी मस्जिद का ताला खुलवाकर चबूतरा बनवाता है तथा मेरठ-मलियाना-हाशिमपुरा करवाता है। अंधभक्त दिमाग का इस्तेमाल भूल गया होता है और बिना तथ्य-तर्क के तुष्टीकरण का भजन गाता रहता है। हमें-आपको चाहिए कि दिमाग का इस्तेमाल करें और सोचें कि कोई क्यों संक्रमण फैलाने का आत्मघाती दकदम उठाएगा?
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