Wednesday, April 8, 2020

लल्ला पुराण 297 (वामपंथ)

Ashwini Tiwari वामपंथ पर मैंने एक पोस्ट के माध्यम से एक विमर्श शुरू किया था, कुछ दूर विधिवत चला फिर विषयांतरों ने उसे तार्किक परिणति तक नहीं पहुंचने दिया। Raj K Mishra ने उनका संकलन कर अपने ब्लॉग से शेयर किया था, तो वामपंथ परिवर्तनकामी ताकतों का व्यापक, सापेक्ष कोटि है। जैसे कट्टरपंथी के लिए उदारवादी वाम हुआ लेकिन समाजवादी के लिए दक्षिण। समाजवाद में बहुत सी कोटियां हैं जैसे लोहिया के अनुयायी संसदीय समाजवादी या इंग्लैंड की लेबर पार्टी या अन्य यूरोपीय देशों की सेसल डेमोक्रेटिक पार्टियां जो उदारवादियों के लिए वामपंथी हैं लेकिन कम्युनिस्टों के लिए मध्यमार्गी। भारत में कम्युनिस्ट पार्टियों की कई धाराएं हैं सब अपने को ही क्रांतिकारी मानती हैं। खैर विस्तार में जाने की गुंजाइश नहीं है -- सब पार्टियों के जन संगठन होते हैं, छात्र, युवा, महिला, ट्रेड यूनियन। इन जनसंगठनों में काम करने के बाद ही पार्टी में प्रवेश मिलता है।

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