उत्तराखंड में एक स्थानीय देवता हैं गोलू, गोल देवता। मुख्य मंदिर अल्मोड़ा से बागेश्वर के रास्ते में चेतई है, छोटे तो रवींद्रनाथ टैगोर की गीतांजलि के रचना स्थल घोड़ाखाल समेत अनेक जगहों पर है। मनौती में बलि चढ़ती है तथा घंटे बांधे जाते हैं। 1996 में एक मित्र के साथ 'Gol Devta -- King, legend and God' डॉक्यूमेंटरी फिल्म बनाने गए थे। भूमिका के विस्तार में न जाकर, जागेश्वर में हमें जागर (स्थानीय नाच जिसमें एक कलाकार के ऊपर गोल देवता की आत्मा सवार हो जाती है) शूट करना था। गाजियाबाद के किसी धनाढ्य ने वहां घर बनाकर घरभोज के आयोजन में सब गेस्टहाउस और होटल बुक कर रखा था। पास में अठखोल में एक सुंदर पहाड़ी कब्जाकरके एक रंगविरंगे परिधान वाले बाबा ने आश्रम बना रखा था। हमें जगह मिल गयी, वह 1920, 10910 की कहानियां बताने लगा यह पूछने पर कि उस समय वह 20 साल का तो रहा होगा, वह 1885 में किसी कमिशनर हंटर के साथ अपने अनुभव बताने लगा, फिर तो हमें समझ आ गया कि फरेबी है। बाकी अनुभव फिर कभी।
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