Saturday, March 21, 2020

बेतरतीब 63 (बचपन 12)

लखनी खेलते समय पेड़ से गिरने वाली बात शेयर करने का मन कर रहा है। घर के पास नदी के किनारे एक जामुन का एक बहुत बड़ा पेड़ है। एक तरफ की डालों के नीचे कंकड़ीली जमीन थी और दूसरी तरफ की डालों के नीचे नदी। उसी जामुन पर हम लोग लखनी खेल रहे थे। 9-10 साल का रहा होऊंगा। . एक हम उम्र दामोदर पत्ता खींचने की लॉटरी से पहले चोर थे, उन्होने कहा कि कि मुझे ही छुएंगे और मैं ऊपर चढ़ता गया,नदी की तरफ बहुत ऊपर छढ़ गया था। दूसरी तरफ की डालों पर चढ़ता तो इतनेऊपर से गिरने पर बतानेके लिए शायद ही बचा होता। जामुन की डाल बहुत आरर होता है, हाथ से पकड़ी डाल टूट गई और लगा कि अब गया। मौत जब करीब दिखती है तो मौत का खौफ खत्म हो जाताहै। जीवन रक्षण प्रवृत्ति तेज होती है। एक दम दिमाग में आया कि पानी में गिरते समय पानी काटने के लिए हाथ नीचे कर लेना चाहिए। गुरुत्वाकर्षण बल इतना था कि नदी की तलहटी तक चला गया। नीचे सीप ठोढ़ी में लगी और कट गया ऊपर पानी पर खून तैरने लगा, साथ के लड़के घबरा गए। थोड़ी देर में जब मैं ऊपर आ गया तब सबकी जान में जान आई। जहां कटा था वहां अब भी दाग है तथा उस जगह दाढ़ी नहीं उगती। दामोदर को बहुत अपराधबोध हुआ। सबसे बुरा जो हुआ कि चोट ऐसी जगह थी कि छिपाया नहीं जा सकता था। घर पहुंचकर साफ साफ बता दिया और दादी (अइया) की गोद की सुरक्षा कवच में पहुंच गया तथा डांट खाने से बच गया। माथे पर स्थाई तिलक के अलावा शरीर पर अभी भी बचपन की चोटों के कई निशान हैं। बहुत बचपन में जाता पीसती मां की पीठ पर लदे हुए जाते के हत्थे की नोक से लगी चोट से बने माथे पर बने स्थाई तिलक की कहानी फिर कभी

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