रामायण को लेकर मैंने तो किसी को हाय हुसेन करते नहीं देखा, जावेडकर का जनता की मांग (पॉपुलर डिमांड) का ट्वीट पढ़कर जिज्ञासा जरूरहुई कि इस महामारी से त्रस्त एकांत वास के इंतजाम में फंसी जनता सीरियल की मांग करने प्रसारण मंत्री के पास पहुंच गयी? वैसे राम से कौन बराबरी कर सकता है जिसके जन्मस्थान की मुक्ति के नाम पर देश में कोहराम मच गया और मस्जिद ढहने के पहले ही उप्र में उनके नाम पर सरकार बन गयी जिसने भक्तों को उनके जन्मस्थान पर बनी मस्जिद ढहाने की सुविधा प्रदान करके अपनी बलि दे दी, जिसके बाद उनकी सेना के आधुनिक भालू बंदरों ने अयोध्या से बंबई तक राक्षसों (मुसलमानों) का संहार किया। राक्षसों के संहार की अगले एपीसोड का वेन्यू गुजरात शिफ्ट हो गया। राक्षसों का संहार छिटपुट जारी रहा, मुजफ्फरपुर में एक राक्षस ने फिर रावणी कृत्य किया और राम की सेना के जवाब की दस्तक से दिल्ली की गद्दी कब्जे में आ गयी। अब तो देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी जन्मस्थान की प्रामाणिकता पर मुहर लगा दी, आप किसी को ऐसा कुछ करने की चुनौती दे रहे हैं कि लोग राम के पहले उसका नाम लें।
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