Saturday, March 7, 2020

शिक्षा और ज्ञान 273 (आर्थिक संकट)

भ्रष्टाचार पूंजीवाद का दोष नहीं अंतर्निहित प्रवृत्ति है,कांग्रेस से अधिक भ्रष्टाचार अभी है, कश्मीर में आतंकवाद कांग्रेस द्वारा कश्मीर की सापेक्ष सावयत्तता से छेड़-छाड़ तथा कठपुतली सरकारें थोपने तथा जगमोहन जैसे संजय गांधी के कारिंदे को कश्मीर का राज्यपाल नियुक्त कर पंडितों के पलायन तथा उसके सांप्रदायिककरण का परिणाम है। मुस्लिम तुष्टीकरण संघी सांप्रदायिक शगूफा है। चुनावी राजनीति मेंसभी दल बहुसंख्यक समुदाय का तुष्टीकरण करते हैं। 1984 में प्रायोजित सिख नरसंहार के बाद हिंदू बैकलैश से सत्ता में आने के बाद शाहबानो प्रकरण की अपनी बेवकूफी को संतुलित करने के लिए राजीव गांधी द्वारा मस्जिद का ताला खुलवाना, मेरठ-मलियाना-हाशिमपुरा को अंजाम देना हिंदू तुष्टीकरण के कृत्य थे। इससे गांधीवादी समाजवाद के मुखौटे में रक्षात्मक सांप्रदायिक राजनीति पर मजबूर संघ गिरोहों को आक्रामक सांप्रदायिकता की प्रेरणा मिली और गर्व से हिंदू कहने का आक्रामक मंदिर अभियान शुरू हुआ। राहुल गांधी ने जनेऊ दिखाते हुए मंदिर मंदिर घूमना शुरू किया तो केजरीवाल जयबजरंगबली करने लगा। राजीव गांधी दुश्मन के मैदान में दुश्मन के हथियार से लड़ना चाहता था। नरसिंह राव ने मस्जिद विध्वंस में बहुसंख्यक तुष्टीकरण के रूप में ही संघ परिवार से सहयोग किया। कांग्रेस भी विश्वबैंक की वफादार थी लेकिन वह फिर भी आर्थिक निर्माण की नेहरू की विरासत कोआहिस्ता आहिस्ता अलविदा कर रही थी। रक्तपाती सांप्रदायिक अभियान से सत्ता हासिल करने वाली इस सरकार के पास हिंदू-मुसलिम नरेटिव से ध्रुवीकरण मेंध्यान भटकाने के अलावा कोई दृष्टि नहीं है। सारे सार्वजनिक उपरक्रमों को धनपशुओं के हवाले कर चुकी है तथा बचे हुए कर रही है। फिलहाल इस मंदी से निपटने के लिए भारत ही नहीं भूमंडलीय पूंजी के पास कोई विकल्प नहीं है। मंदी के आलम की पराकाष्ठा यह है कि इसने नाई तक के धंधे को प्रभावित कर दिया है। पिछली (1930 की) महामंदी से राज्य के आर्थिक नियंत्रण वाली केंसियन कल्याणकारी (वेल्फेयर) अर्थनीति ने निजात दिलाया था और पूंजीवाद को ध्वस्त होने से बचा लिया था। किसी अन्य कार्यक्रम के अभाव में केंसियन अर्थशास्त्र के तहत कल्याणकारी राज्य तथा राज्य नियंत्रित अर्थशास्त्र की फिर से बहाली ही, फिलहाल संकट मोचन का रास्ता दिख रहा है, वरना प्रलय अवश्यंभावी है, मंदिर कितना भी भव्य बन जाए।

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