विश्वविद्यालयों में 99% नौकरियां गॉडफादरों की कृपा और नेटवर्किंग पर मिलती हैं, 1% दुर्घटना बस। एक बार सौभाग्य से कई संयोग टकरा गए और दुर्घटना हो गयी और नौकरी मिल गयी। बाकी सब गॉडफादर मेरी प्रामाणिक नास्तिकता और बाभन से इंसान बन जाने की वास्तविकता से वाकिफ थे। गॉडफादरी में दक्षिण, वाम एवं सेंटर के प्रोफेसरों में कोई खास गुणात्मक फर्क नहीं है। वामपंथी गॉडफादरों की ही शरण में चला जाता तो भी कल्याण हो जाता। अब नास्तिक के लिए जब गडवै नहीं है तो गॉडफदरवा कहां से होगा?
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