Saturday, March 28, 2020

लल्ला पुराण 282 (कोरोना)

कोरोना की एक पोस्ट पर एक सज्जन ने कहा आलोचना की बजाय समाधान दूं। उस पर:

मैं विशेषज्ञ नहीं हूं, मैं राजनैतिक दर्शन का प्रोफेसर था, मेडिकल और जीवविज्ञान का ज्ञान आम आदमी की तरह है। विशेषज्ञों से जरूरतों की लिस्ट बनवानी चाहिए। अभी डॉक्टर बता रहे हैं विंटीलेटर की बहुत जरूरत है, एक कंपनी कह रही है वह सरकार को पर्याप्त मात्रा में विडिलेटर बनाकर दे सकती है, उससे बात की जानी चाहिए। स्रेन ने सभी अस्पतालों का अस्थाई तौर पर राष्ट्रीयकरण कर लिया है, उस पर विचार करना चाहिए। जो मजदूर काम की जगहों से भाग रहे हैं उन्हें मजदूरी के लिए आश्वस्त तथा उनके रहने-खाने की न्यूनतम व्यवस्था करनी चाहिए। जो घर जा सतके हैं जाना चाहते हैं उन्हें सैनिटाइज्ड वाहनों में भेजने का प्रबंध करना चाहिए, झारखंड सरकार की तरह। यह तो एक आम आदमी की सलाह है लेकिन विशेषज्ञ सलाह लेकर उस दिशा में काम करना चाहिए। चीन ने खतरे की चेतावनी दिसंबर में ही दे दी थी, राहुल गांधी ने 31 जनवरी को चेताया, लेकिन सरकार ट्रंप की वफादारी और ध्रुवीकरण के लिए दिल्ली में दंगों के प्रबंधन में व्यस्त थी। देर आए तब भी दुरुस्त आना चाहिए, ठोस कदम की जरूरत है रामायण की नहीं। रामायण भी दिखाइए लोगों का ध्यान बंटेगालेकिन जनता की मांग का बहाना मत कीजिए, परेशान जनता चिकित्सा और राहत की मांग करेगी, सारियल की नहीं।

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