Friday, March 27, 2020

बेतरतीब 65 (दूसरी बेटी)

एक मित्र ने कहा कि मैडम (मेरी पत्नी) को स्वतंत्रता के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा होगा? उस पर:

आपकी यह बात कि मैडम को काफी संघर्ष के बाद स्वतंत्रता मिली होगी तो उनकी स्वतंत्रता का संघर्ष भी मैंने ही किया। अपने सिद्धांतों की परख तभी होती है जब अपने ऊपर लागू होती है। दुनिया में नारीवाद का पताका फहराने के पहले अपने घर में फहरना चाहिए। मेरी शादी लगभग बचपन में, इवि आने के पहले हो गयी थी, शादी का फैसला मेरा नहीं था लेकिन निभाने का फैसला मेरा था। आपको चुनाव की आजादी और सामाजिक उत्तरदायित्व में सामंजस्य और संतुलन बनाना होता है। किसी भी रिश्ते का असली आनंद तभी आता है जब वह जनतांत्रिक, समतामूलक औक पारदर्शी हो। लंबे समय हम अलग रहे मैं हॉस्टल में वे घर। जब हम साथ रहना शुरू किए और मैं बर्तन धोने से शुरू किटन का काम करता तो उनके संस्कारों को आघात लगता, अब उल्टा है। इस ग्रुप के जो भी मित्र घर आए हैं वे गवाह हैं कि उनके लिए चाय मैंने ही बनाया होऊंगा। मेरी दूसरी बेटी नियत समय से पहले पैदा हुई तो मैं किसी काम से जोधपुर से लौटा था, जेब में 10 रुपए थे। लगा कि अभी उत्सव नहीं मनाऊंगा तो लोग कहेंगे कि देखो बड़का नारीवादी बनता है, दूसरी बेटी हुआ तो दब गया। बाइक में किक मारा और पेट्रोल पंप से 10 रुपए का पेट्रोल (लगभग 1 लीटर) डलवाकर एक मित्र के ऑफिस पहुंचा और उससे 1 हजार उधार मांगा। तब एक हजार काफी होता था, उसने कहा, इतने पैसे क्या करोगे? मैंने कहा अबे विश्व बैंक हो गए हो जो प्रोजेक्ट डिटेल जानकर दोगे, उधार मांग रहा हूं, लौटा दूंगा। खैर उसने पैे दिया और मैं पालिका बाजार से नवजात के इफरात कपड़े और बंगाली मार्केट से मिठाइयां खरीदा। मार्क्सवाद की प्रमुख अवधारणाओं में एक है, सिद्धांत-व्यवहार की एकता।

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