Monday, March 30, 2020

लल्ला पुराण 285 (कोरोना)

बरेली में दिल्ली से गए मजदूरों को झुंड में बैठाकर उन पर कीटनाशक के छि ने कहा ड़काव के एक वीडियो के लिंक पर एक सज्जन (कॉलेज शिक्षक) ने कमेंट किया कि संक्रमण रोकने के उपाय में करीकों पर सवाल नहीं करना चाहिए, इस पर सवाल करने पर उन्होंने कहा केरल का भी ऐसा वीडियो है। उस पर :

कीटनाशक से ही सेनेटाइज किया जा सकता है? जिन्होंने आंख में जलन की शिकायत की उन्हें अस्पताल की बजाय घर भेज दिया गया। गरीब कीट है क्या? आप अपना और अपने बच्चों का सेनेटाइजेसन कीटनाशक से करवाना चाहेंगे? मध्यवर्ग परिभाषा से ही अमानवीय होता है, वह अंधभक्त हो तो सोने में सुहागा।

Rupesh Shukla सीधे ही पूंछ रहा हूं, गरीबों पर कीटनाशक का विषैला छिड़काव वाजिब है क्या? एक और अनुचित से दूसरे अनुचित का औचित्य साबित होता है क्या? अपराध के पक्षधरो का घिसापिटा तर्क है कि यही नहीं वह भी अपराधी है। उसके अपराध की अलग से विवेचना करें। अगर और साधन न हों तब न? पहली बात तो उनका टेस्ट नहीं हुआ कि वे संक्रमित हैं कि नहीं। दूसरी बात कैसे पता कि और साधन नहीं है जहर के छिड़काव के अलावा? कोई तथाकथित सम्मानित व्यक्ति ( मान लीजिए हमारी तरह प्रोफेसर होते) तब भी क्या उनपर पशुओं की तरह झुंड में बैठाकर बिषैले कीटनाशक का छिड़काव होता?

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