मैं तो दिलीप यादव के समर्थन में सारे वामपंथी संगठनों को खड़ा देख रहा हूं. यार दिलीप मंडल, जेयनयू प्रतिरोध का पहला और बड़ा मोर्चा है. रोहित की शहादत से निकले जय-भीम -- लाल-सलाम नारे की एकता को पुख्ता कीजिए, निहित स्वार्थों के लिए तोड़ो मत. लक्ष्मणपुर बाथे नक्सल नरसंहार था. शासक जातियां और शासक वर्ग हमेशा एक रहे हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न सवर्ण नहीं यादव कर रहे हैं. मायावती पर शारीरिक हमला किसी सवर्ण ने नहीं, बसपा-सपा के रास्ते भाजपा तक का सफर करने वाले माफिया रमाकांत यादव के भाई उमाकांत ने किया था. आज़मगढ़ की फूलपुर तहसील में जमीन कब्जा करने के लिए दलितों की बस्ती पर बुल्डोजर उसी ने चलाया था. सड़क का ठीका न मिलने पर शाहगंज के दलित जूनियर इंजीनियर की हत्या तब बसपा के यमयलए रमाकांत यादव ने कराई थी और बसपा से सपा में चला गया था, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम ने बचाया. अस्मिता राजनीति की सीमाएं होती हैं, उससे ऊपर उठकर जनवादी चेतना की तरफ बढ़िए. ब्राह्मणवाद और कॉरपोरेटी लूट की बजाय वामपंथ को गरियाकर आप प्रकारांतर से ब्राह्मणवाद और कॉरपोरेटवाद को ही मदद कर रहे हैं, बाकी आपकी मर्जी. आदिवासियों के हकों की हिमायती नंदिनी सुंदर को सवर्ण कह कर खारिज करके आप कॉरपेरेटी लूट का ही समर्थन कर रहे हैं. काम या विचार की बजाय जन्म के आधार पर व्यकित्व का मूल्यांकन ब्राह्मणवाद का मूल मंत्र है, ऐसा करके आप नवब्राह्मणवादी खेमे मे शामिल हो ब्राह्मणवाद को शक्ति प्रदान कर रहे हैं. बाकी आप बहुत बड़े विद्वान हैं, आपको मैं क्या समझा सकता हूं.
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