Thursday, January 12, 2017

गीता का धर्मोंमाद

गीता एक युद्धोंमादी ग्रंथ है
एक धूर्त चमत्कारी जादूगरी से
बन जाता स्वघोषित भगवान
हथिया लेता है कर्त्ता का सोचने का अधिकार
और आदेश देता है करने को अपनों पर अचूक सरसंधान
करवाता कुनबों में ऐसा रक्तपात
हो गई धरती जिससे बंजर और उदास
करता है रक्तपात का ऐसा महिमामंडन
मानवता के उसूलों भीषण खंडन-मंडन
खुला जब उसकी खुदाई का फरेब
एक जंगली बहेलिए ने दिया उसे छेद
भक्तों नहीं हुआ तब भी कोई खेद
क्योंकि कहा था उसने बढ़ाने को रक्तपात
मरने पर मिलेगा स्वर्ग जीतने पर राज-पाट
अब भक्त मानते उसे द्वापर का भगवान
बना रहे जिससे उनका धर्मोंमादी युद्धोंमाद
अपन तो जानते हैं न होता कोई खुदा
कहां से आएगा अवतार या मशीहा
इसीलिए लगाते हैं खुदागीरी का मुर्दाबाद
नारा-ए-इंक़िलाब ज़िंदाबाद
(ईमिः 12.01.2017)
(हा हा इस पोस्ट पर 2 तुकबंदियां हो गईं)

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