पार्टी कोई गाय-माता है कि उसकी पवित्र रहस्यमय गोपनीयता है? पार्टी लाइन और संसदीय भटकाव तथा अधिनायवादी केंद्रीयतावाद से दुनिया भर में कम्युनिस्ट पार्टियां हासिए पर लटक गयी हैं। एरिक हॉब्सबॉम ने कम्युनिस्ट पार्टियों के नेताओं को मार्क्स पढ़ने/फिर से पढ़ने की वाज़िब सलाह दी थी। सार्वजनिक जीवन में निजी-सार्वजनिक का बुर्जुआ द्वैध गलतियों/धूर्तता को छिपाने का तहखाना है और मार्क्स की आत्मालोचना की सलाह को दफ्न कर, गोपनीयता के नाम पर वही गलतियां दुहराते रहे हैं। यह तक4 बैंकों से न लौटाने वाले कर्ज के जरिए जनता को लूटने वालों के नाम सरकार गोपनीयता के नाम पर सुप्रीम कोर्ट को न बताने जैसा है।
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