Dilip C Mandal और उनके अनुयायी नवब्राह्मणवादी जयभीम-लालसलाम नारों की एकता से अपनी अवसरवादी रियासत-सियासत मड़राते पर खतरे से भयभीत, इस एकता को तोड़ने की अपनी मुहिम में जन्मना सवर्ण वामपंथियों को सलाह दे रहे हैं कि सवर्ण दलितों के संघर्ष को आगे बढ़ाने की बजाय अपनी जातियों में सुधार आंदोलन चलाएं. गोल्वलर की प्रतिध्वनि सुनाई दे रही है इनकी बातों में कि हिंदू अंग्रेजों से लड़ने की बजाय अपने को एक करें. स्वतंत्रता संग्राम के वक्त ये होते तो भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, भगवतीचरण वोहरा, दुर्गा भाभी, रामप्रसाद विस्मिल, सचिन सान्याल, राममोहन रॉय .... (सभी सवर्ण) को सलाह देते कि क्रांतिकारी आंदोलन की बजाय वे अपनी अपनी जातियों में सुधार आंदोलन चलाएं. वे 'ओबीसी' पुलिसिए कल्लूरी को सलाह नहीं देते कि वह आदिवासियों की हत्या-बलात्कार-विस्थापन का प्रायोजन बंद कर दे या 'ओबीसी' मोदी देश बर्बाद करना छोड़ दे.
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