जंग वैसे भी होनी ही नहीं चाहिए किसी से
हो ग़र अपनों से तो जंग से भाग लेना चाहिए
वैसे जो सिखाए हमें खुद से लड़ना
उसकी नीयत पर संदेह न होना चाहिए
जंग तो फिर जंग है अपनों से हो या परायों से
दोनों की बर्बादी ही तारीख़ की गवाह रही है
इसीलिए कहा साहिर ने
"इसीलिए ऐ शरीफ इंसानों जंग टलता रहे तो बेहतर है,
हमारे, आपके सबके घरों में चराग जलता रहे तो बेहतर है"।
हा हा
(ईमिः 08.01.2017)
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