Smt Ira Mukherjee कौन सी भ्रांति पैदा कर रहे हैं मैडम? पुलिस कर्मी वहां जंगल में क्यों गए थे, आदिवासियों की सेवा करने? नक्सल को कत्ल करने आदिवासियों को लूटने, बलात्कार करने जिससे उनकी जमीनें कॉरपोरेट को दिया जा सके. उन गरीब पुलिस वालों के हत्यारे वे कमीने नेता हैं जो उन्हें गरीब आदिवासियों को मारने भेजते हैं. यह दो हथियारबंद समूहों के बीच की लड़ाई होती है जिसमें कभी वेतनभोगी हत्यारे मारे जाते हैं कभी सिर पर कफन बांध कर निकले खुद को र्रांतिकारी समूह के लोग. आप छत्तीसगढ़ में रहती हैं, शायद यह जानने में आपकी रुचि नहीं होगी कि हर रोज पुलिस वाले राजनेताओं के आदेश पर कितने आदिवासी उजाड़ते हैं, कितनी मासूम लड़कियों का बलात्कार करते हैं कितनों की बलात्कार के बाद हत्या? जो भी उनके साथ खड़ा होता है सरकार, पुलिस और बजरंगी गुंडे उनकी क्या हाल करते हैं? आपने शायद पढ़ा नहीं होगा कि आदिवासियों के बीच काम करने वाली बेला भाटिया पर पुलिस और गुंडे किस तरह जुल्म ढा रहे हैं, उन्हें वहां से भगाने के लिए? आपने शायद सोनी सोरी की कहानी नहीं पढ़ी होगी जिसे प्रताड़ित करके पुलिस ने उसके गुप्तांगों में कंकड़-पत्थर ठूंस दिया था और सरकार ने उस अपराधी पुलिस अधिकारी अंकित गर्ग को बदले में पुरस्कृत किया था? आप भी गजब करती हैं, माओवादियों को मारने गए हथियारबंद पुलिसकर्मियों और हथियारबंद माओवादियों के बीच लड़ाई को डर से पलायन कर रही बेगुनाह औरतों के बलात्कार हत्या से तुलना करती हैं? हैरत होती है आपकी इस संवेदनशीलता पर. जी, नक्सलो से मुठभेड़ में मारे गए गरीब-किसान के बेटों पुलिसकर्मियों से मुझे सहानुभूति है और उनकी मौत पर भी मेरा दिल वैसे ही रोता है जैसे गुजरात के बेगुनाहों की हत्या बलात्कार पर. लेकिन उनके हत्यारे वे शासक हैं जो अपने निहित स्वार्थों के लिए अपने वातानुकूलित दफ्तरों में बैठ कर उन्हें अपने ही तरह के अपने गरीब भाई-बहनों पर ज़ुल्म करने भेजते हैं. इतिहास ही शासकों द्वारा गरीब को गरीब से आपसी खून खराबे का इतिहास है. वह दिन कभी-न-कभी आएगा जब गरीब हरामखोर रईशों के इशारों पर एक दूसरे की बजाय बंदूकें अपने-अपने शासकों पर तान देंगे और खत्म कर देंगे खून-खराबे का इतिहास. पता नहीं इल सबका आपके पूर्वाग्रह-दुराग्रहों और मोदी भक्ति पर इसका असर पड़ेगा और मासूमों की हत्या बलात्कार को मानवीय संवेदना से देख सकेंगी. सादर.
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