Thursday, January 5, 2017

एक अकविता

एक अकविता का प्रयास

सुनाता हूं आपको एक जनसेवक की कहानी
कही-सुनी नहीं उसीकी जबानी
मितरों बनाना है हमें एक महान हिंदु-राष्ट्र
पैदा करना है जन-गण में
नमस्ते सदा वत्सले के जज्बात
करना है उस सपने को साकार
होगा जो गौरवशाली अतीत का एक प्रकार
प्रणेता हैं जिसके बलिराम हेडगेवार
थे जो धर्मराज युधिष्ठिर के अवतार
बोले थे यही परमपूज्य गुरू सावरकर
मितरों हमें भारत को महान राष्ट्र बनाना है
गौरवशाली अतीत को वापस लाना है
होता था जिसमें एक गौरवशाली सम्राट
प्रजा के हित खुद के हित की करता बात
थी उसके पास छंटे हुए चारणों की जमात
कोने कोने में पहुंचाते जो राजा के यश-कीर्ति की बात
कानून बन जाते उसके हर ऐरे-गैरे जज्बात
मितरों बनाना है हमें एक महान हिंदुराष्ट्र
हो नहीं जिस राष्ट्र में कोई महाराष्ट्र
(सोचा था कुछ लेकिन कलम की आवरगी लिखा गई कुछ और सोचा हुआ कुछ भूल गया, होता है ऐसा. कोलंबस भारत आना चाहता था अमेरिका पहुंच गया)
(ईमि: 06.01.2017)

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