Friday, January 6, 2017

मार्क्सवाद 33

पार्टी लाइन एक मार्क्सवाद विरोधी प्रवृत्ति है जिसकी अवधारणा अंतरराष्ट्रीय इतिहास के एक खास मोड़पर, खास सामाजिक चेतना के परिप्रक्ष्य में तत्कालीन परिस्थितियों की खास जरूरतों के मद्देनजर सीपीयसयू की नीति के रूप में अपनाया गया। रोजा लक्ज़ंबर्ग ने विश्वयुद्ध की कठिन परिस्थियों और अंतरराष्ट्रीय सर्वहारा की राष्ट्रवादिता के संदर्भ में बोल्सेविकों की तारीफ करने के साथ ही चेताया था कि खास हालात की मजबूरी में बनी रणनीति को अंतरराष्ट्रीय सर्वहारा क्रांति के नियम के रूप में पेश करना सामाजवादी क्रांति के लिए आत्मघाती होगा। मार्क्स बार बार जोर दे कर कहते हैं कि सर्वहारा की सही मुक्ति, जिसे वे मानव मुक्ति कहते हैं, स्वयं सर्वहारा द्वारा होगी। सर्वहारा को इतने शक्तिशाली शत्रु से मुक्ति के संघर्ष नायक खुद बनने के लिए वर्गचेतना से लैस हो संगठित होना पड़ेगा। पार्टी लाइन मुक्त तार्किक विमर्श से निकलने वाली जनवादी वर्गचेतना के रास्ते की बाधक है। सर्वहारा सोचने का अधिकार नेतृत्व को सौंप कर एक अलग किस्म की भक्ति भाव का शिकार हो जाता है। यह भक्ति भाव धार्मिक भक्तिभाव से कम हानिकारक नहीं है। बाकी फिर।

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