Wednesday, January 25, 2017

नवब्राह्मणवाद 2

Ajay Prakash Rajesh Singh इस सवाल का जवाब मैं 18 साल की उम्र से ही देता आया हूं. 1991 में मंडल विरोधी उंमाद के वक़्त इस सवाल की भीड़ लग गयी थी तो मैंने नवभारत टाइम्स में 'मेरिट और आरक्षण' पर 3 लेखों की एक लेखमाला लिखा था. उनमें से एक लेख इसी पर था क्योंकि लोगों की निराधार अपेक्षा के प्रतिकूल मैं विभाजन रेखा के दूसरी तरफ था. जनेऊ तोड़ने की मुझे जरूरत हुई, मिश्र हटाने की नहीं. कहां पैदा हो गया इसमें मेरा कोई हाथ नहीं है, आप लोग अगर अपनी मर्जी से पैदा हुए हों तो मैं नहीं जानता. कर्म और विचोरों की बजाय जन्म के आधार पर व्यक्तित्व का मूल्यांकन ब्राह्मणवाद का मूल मंत्र है, जो भी ऐसा करता है वह जाने-अनजाने ब्रह्मणवादी है. मिश्राओं को वैज्ञानिक दृष्टि विकसित करने पर रोक है क्या? जितने भी ब्राह्मणवादी और नवब्राह्मणवादी हैं जब उन्हें मेरी बातों को काटने का तर्क नहीं मिलता तो यही कुतर्क करते हैं. अजय जी देर से हटाने की बात नहीं है, तफरीह में हटा दिया फिर पता चला अब 2 महीने इसे ही रखना पड़ेगा. और थोड़ा हल्के अंदाज में कहूं तो इसलिए भी नहीं हटाता कि लोगों को पता रहे कि इस समाज को बौद्धिक जड़तान में हजारों साल जकड़े रखने वालों में मेरे पूर्वज भी शामिल हैं. फेसबुक पर मिश्र को लेकर सबसे ज्यादा गालियां मिश्र-शुक्ल-... ही देते हैं. बंददिमाग लोग मैं क्या कहता हूं और क्या करता हूं उनमें एका है कि नहीं, यह सवाल नहीं पूछते, यही पूछते हैं कि मैं खास मां-बाप के यहां क्यों पैदा हो गया? 60 दिन पूरा होते ही फिर से पूरा नाम लिखूंगा. भाई, मेरे बारे में राय मेरे कर्म-विचारों पर बनाइए, जन्म की जीवनवैज्ञानिक दुर्घटना की अस्मिता के आधार पर नहीं. बौद्धिक संसाधनों की पारंपरिक सुलभता के चलते जन्मना ब्राह्मणों पर ज्यादा जिम्मेदारी बनती है कि वे ब्राह्मणवाद की विचारधारा की विद्रूपताओं को समझें. इस सवाल का यह अंतिम जवाब है, आगे यह मूर्खतापूर्ण सवाल करने वालों को अपनी मित्रसूची से बाहर कर दूंगा. अजय प्रकाश जी, आप सरनेम नहीं लिखते लेकिन वह कोई गारंटी नहीं है कि आप आप जातिवादी नहीं है. घनघोर जातिवादी डॉ. जगन्ननाथ और चंद्रशेखर क्रमशः मिश्र और सिंह नहीं लिखते थे. जो भी जन्म के आधार पर मेरे व्यक्तित्व का मूल्यांकन करते हैं मैं उन्हे ब्राह्मणवादी समझ खारिज कर देता हूं.

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