Friday, January 6, 2017

डर डर कर नहीं जी जाती ज़िंदगी

डर डर कर नहीं जी जाती ज़िंदगी
डर डर कर रेंगता है इंसान मौत की तरफ
मौत तो आनी ही है प्रकृति के नियम से
जाना ही है सबको है जो भी अस्तित्ववान
मौत क्या डराएगी उसे
डरा नहीं पाता जिसे न भूत न भगवान
(ईमिः 05.01.2017)

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