Sunday, March 11, 2018

चुंगी से मुक्ति

चुंगी ने अपने को मुझसे मुक्त कर लिया
दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज है मुक्ति
पिंजड़े से बाहर की दुनिया से नावाकिफ पक्षी
पिजड़े में ही मुक्ति ढूंढ़ता है
नवान्वेषण को आतुर
पिजड़ा तोड़कर उड़ने में
डरता है आत्मबल विहीन
लीक छोड़कर चलने में
नए का विचार सुनने में
सत्ता का भय होता है
विचारों का आतंक
जो संक्रामक रोग बन फैलता
डर कर अपने पूर्वाग्रह-दुराग्रहों से
विचार पर हमला करता है
मगर विचार तो विचार है
न डरता है, न मरता है
फैल कर इतिहास रचता है
न सुकरात मरता है न भगत सिंह मरता है
भविष्य की बगावत की मिशाल रचता है
(ईमि: 12.03.2018)

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