फौरी आत्मालोचना में कभी अति हो जाती है। चिंता सामाजिक चेतना के स्वरूप के स्तर को लेकर है, जिसमें संसदीय कम्युनिस्ट पार्टियां और स्वनामधन्य क्रांतिकारियों के अकर्म-कुकर्मों का योगदान अधिक है। हिटलर भी संसद में आग लगवाकर सबसे बड़े विपक्ष, कम्युनटिस्ट पार्टी को प्रतिबंधित और उसके सदस्यों को जेल में डालकर एवं यहूदी विरोधी ऩफरत से नस्लोंमाद फैलाकर प्रचंड बहुमत से सत्ता में आया था। जब बड़े पूंजीपतियों की सांठ-गांठ से बहुसंख्यक पर अल्पसंख्यक समुदाय के खतरे का हव्वा खड़ा किया जाता है तो वह फासीवाद होता है। मैंने भविष्य की पीढ़ियों की प्रतिक्रिया का कयास लगाया है। आज जर्मनी में हिटलर और हिटलरवादियों का नाम सब घृणा और शर्म से लेते हैं।
(04.03.2018)
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