Wednesday, March 21, 2018

शिक्षा और ज्ञान 146 (गुरुकुल ज्ञान)

किसी भी आवाम को गुलाम बनाना है तो उसे शिक्षा से महरूम कर दो और इतिहास को परीकथाओं में तब्दील कर दो। फिर अपने ढंग का कुज्ञान बेचो और लोगों को बेवकूफ बनाओ। सरकार ने इतिहास पुनर्लेखन की एक समिति गठित की है।हमें इतिहास से सीखना चाहिए, किस तरह ब्राह्मणवाद ने हिंसक तरीके से आमजन की भाषा में, विचार-विमर्श; सवाल-जवाब की द्वंद्वात्मक प्रणाली पर आधारित, जनतांत्रिक बौद्ध शिक्षा संस्थानों तथा साहित्य को नष्ट कर, अधिनायकवादी गुरुकुल प्रणाली से पौराणिक कहानियों को ज्ञान के रूप में परिभाषित कर, हजार साल समाज को जड़ बनाए रखने में सफल रहा। 'राष्ट्रवादी' शिक्षा नीति का भी यही मंसूबा है, जिसे हमें प्रतिरोध की एकता से नाकाम करना है। लेकिन अब एकलव्य बिना अंगूठे के तीर चलाना सीख गए हैं। सभी वामपंथी और अंबेडकरवादी संगठनों को झंडा-दुकान का झगड़ा भूल, एकजुट होकर एक राष्ट्रव्यापी छात्र आंदोलन खड़ा करना चाहिए। फासीवाद अब अगले चौराहे पर नहीं है, नवउदारवादी फासीवाद का यही रूप है। याद कीजिए 1933 में जर्मन कम्युनिस्ट पार्टी बहुत सशक्त थी हिटलर ने ऐसी रीढ़ तोड़ा कि आज तक खड़ी नहीं हो पाई। वही हाल अमेरिका में वामपंथियों का था मेकार्थीवाद के तहत जो हमला हुआ, आज सीपीयूयसए हाशिए की ताकत है। साझे संघर्षों के दौरान मतभेद घटते हैं। अभी मतभेदों के बावजूद साथ लड़ना है, हमला साझा है, प्रतिरोध साझा होना चाहिए, प्रतिरोध के दुर्गों को ध्वस्त करने के मंसूबे से विश्वविद्यालयों को ऑटोनामी के नाम पर निजीकरण की सुविचारित साजिश है। हम जागे नहीं तो देर हो जाएगी। ऊंची है उनकी जेल की दीवारें, मगर हमारी एकता की ऊंचाई से कमतर।

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