Monday, December 4, 2017

सरहद

सोचो अगर हिंद-पाक की सरहद मिट जाए
बीयसयफ और रेंजर्स में दोस्ती हो जाए
जान जाएं वे देशभक्ति के फरेब का राज
समझ जाएं खून-खून में फर्क करने की चाल
न माने वे दुश्मन उसे बताए जो सरकार
करें खुद ही अपने-अपने दुश्मन की तलाश
करेंगे घुट्टी में पिलाए गए पूर्वाग्रहों को पार
पाएंगे कि दुश्मन हैं उनके अपने ही हुक्मरान
देंगे बंदूकें अपने-अपने हुक्मरानों तान ।
ऐसा हो जाए तो दोनों सरकारों का क्या होगा?
युद्ध के असलाह की खरीददारी का क्या होगा?
हथियारों और कफन की दलाली का क्या होगा?
युद्धोंमादी देशभक्ति की सियासत का क्या होगा?
जंगखोरी का जब तक रहेगा आलम
हरामखोरों का रहेगा निजाम कायम
(ईमि: 04.12.2017)

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