Monday, December 25, 2017

फुटनोट 153 (ब्राह्मण से इंसान बनना)

@ Shashi K Chaturvedi : बजरंगी बंददिमाग होता है, तमाम बार साबित हो गया है कि अल्लाह के नारे बजरंगी घुसपैठियों ने लगाया था जिस तरह हिंदू वाहिनी का दीक्षित दंगे भड़काने और मुसलमानों के गांव जलाने के मक्सद से बछड़ा काटते पकड़ा गया था गोंडा में। किसी भक्त ने दीक्षितों के गांव नहीं जलाया? वह कमीना ब्राह्मण न पकड़ा जाता तो क्या होता? मुसलमानों के घर जलते और ये समाज के दुश्मन नफरत फैलाते, इन देशद्रोहियों के पास नफरत के अलावा कोई कार्यक्रम ही नहीं है। गोहत्या पर फांसी की सजा की मांग करने वाले उस दीक्षित की फांसी की मांग नहीं कर रहे हैं? या ब्राह्मण की गोहत्या पवित्र है? वैदिक हिंसा हिंसा न भवति। लगातार वीडियो में दिखे नारेबाजों को पकड़ने कीन मांग कर रहे हैं। उमर एक मेरे जैसा प्रामाणिक नास्तिक और क्रांतिकारी उदीयमान इतिहासकारल है। 10-15 मिनट सत्संग करलें तो आपके दिमाग से भी थोड़ा ब्राह्मणवादी कीड़ा निकल जाएगा। उमर ईश या अल्लाह जैसे दकियानूसी नारे नहीं लगा सकता, मेरा बहुत अजीज शिष्य-मित्र है, उतना ही जितना अनिर्बन। उसके पीछे संघी ही नहीं मुसंघी तालिबान भी पड़े हैं, जैसे मेरे पीछे इंसान न बन पाए तमाम बाभन। अनिर्बन और उमर पर एक ही आरोप हैं और दोनों एक ही स्वर में बोलते हैं लेकिन बजरंगियों के दिमाग में इतना सांप्रदायिक, ब्राह्मणवादी कचरा भरा होता है कि वे मुझसे उमर का हिसाब मांगते हैं, अनिर्बन का नहीं, इसीलिए पढ़े-लिखे जाहिलों का प्रतिशत अपढ़ जाहिलों से अधिक है। दिमाग में बजबजाता ब्राह्मणवादी कचरा थोड़ा साफ करें तो चीजें बेहतर समझ आएंगी। बाभन से इंसान बनना मुश्किल है लेकिन सुखद। अलविदा।

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