Monday, December 25, 2017

फुटनोट 154 (राष्ट्रवाद)

मैं तो देश, राज्य, राष्ट्र का अंतर ही पढ़ाता हूं अगर आप लेख पढ़े होते तो यह सवाल नहीं करते। आपने गोल्वल्कर-सावरकर पढ़ा है? वे मजहबी नहीं, अनैतिहासिक हिंदुत्व की बात करते हैं जब कि हिंदू तो एक काल्पनिक समुदाय है, हिंदू कोई पैदा ही नहीं होता कोई बाभन पैदा होता है कोई चमार। सांप्रदायिकता का धर्म से कुछ नहीं लेना है, साम्प्रदायिकता धार्मिक भावनाओं के शोषण और दूसरे धर्मों के प्रति नफरत फैला कर उन्मादी राजनैतिक लामबंदी की विचारधारा है। हिंदू राष्ट्र का मतलब फासिस्ट राज्य है। मैंने दीनदयाल और गोलवल्कर की सारे जहालती ग्रंथ पढ़े हैं। न तो अंग्रेजों का दलाल सावरकर धार्मिक था न ही जिन्ना। नीचे आरयसयस और जमाते इस्लामी पर तुलनात्मक अध्ययन का लिंक दे रहा हूं, पढ़ लें तो थोड़ा दिमीग खुल सकता है ।

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