छोटे दामन से होता नहीं कोई छोटा इंसान
लंबे-लंबे लोगों को देखा है करते छोटे काम
प्रतिभाओं की विभिन्नता है प्रकृति का वरदान
हर किसी का होता अपना अलहदा काम
देता है समाज फर्क को छोटे-बड़े का नाम
बताता किसी अदृश्य भगवान का काम
जूम न पाने का मतलब है बाहर पहुंच के
बंटा हो समाज जब श्रेणी में नीच-ऊंच के
आएगी समाज में जब समता की बहार
कुछ भी नहीं होगा तब पहुंच के बाहर
[हा हा, बस यूं ही कलम की प्रातकालीन आवारगी]
(ईमि: 04.12.2017)
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